अयोध्या विवादः दस्तावेजों का पूरा नहीं हुआ अनुवाद तो SC ने 14 मार्च तक टाली सुनवाई, रोजाना सुनवाई से इनकार

 

अयोध्या मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च तक के लिए टल गयी है क्योंकि केस के सभी दस्तावेजों का अनुवाद नहीं हो सका था। 8 फरवरी यानि गुरुवार को सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने अयोध्या मसले को सिर्फ जमीन विवाद का मुद्दा बताया। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा अशोक भूषण और अब्दुल नजीर की विशेष पीठ ने इस मामले में रोजाना सुनवाई करने से इंकार कर दिया। चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि और सात सौ केस है जिनमें गरीब लोगों को न्याय देना है, हालांकि हम इसकी संभावना से इंकार भी नहीं कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष रहे सभी पक्षकारों से आज कहा कि वे उनके द्वारा अपील के साथ दाखिल दस्तावेजों का अंग्रेजी रूपांतरण दो सप्ताह के भीतर दाखिल करें। साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका इरादा इस मामले को कभी भी रोजाना सुनने का नहीं रहा है। पीठ ने कहा कि वह इस मामले को विशुद्ध रूप से ”भूमि विवाद के रूप में सुनेगी और उसने संकेत दिया कि उच्च न्यायालय के समक्ष जो लोग नहीं थे उनकी इसमें पक्षकार बनने के लिये दायर अर्जियों को बाद मे देखा जायेगा।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उन भाषाई पुस्तकों का, जिन्हें इस मामले में आधार बनाया गया है,अंग्रेजी में रूपांतरण कराया जाये और इन्हें आज से दो सप्ताह के भीतर दाखिल किया जाये। पीठ ने न्यायालय की रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि उच्च न्यायालय के रिकार्ड का हिस्सा रहे वीडियो कैसेट की प्रतियां संबंधित पक्षकारों को वास्तविक लागत पर उपलब्ध कराई जाये।