
जनता के अधिकारों का ,
और जनता के दरबारों का।
गणतंत्र दिवस देखो आया है,
जनता की सरकारों का ।
साकार हुआ था इस दिन को,
अखण्ड भारत का सपना जब।
हर मन में उल्लास भरा था,
पुलकित था हर जन का मन।
अपनी रोटी अपनी मेहनत
अपने सपने साकारो का ।
गणतंत्र दिवस देखो आया है,
हर जन के अधिकारों का ।
दूर हुए अंधियारे अब,
मिटे गमों के सायें सब।
अब नहीं कोई बड़ा यहां ,
और नहीं कोई छोटा अब।
जांत पात के बंधन को,
तोड़ने वाले विचारों का।
गणतंत्र दिवस देखो आया है,
हर जन के अधिकारों का।
धर्म का कोई भेद नहीं ,
न मजहब का टंटा है।
हर मानव से बड़ा प्रेम है,
मानव कोई न बंटा है।
भारत मां के लालों का,
हर्षित सब परिवारों का।
गणतंत्र दिवस देखो आया,
हर जन के अधिकारों का।