
प्यार होता ही है अंधा,और आंखें होती है नफरत की, पर दोनों के अति होते ही, काम नहीं करती हमारी बुद्धि। ये दिल की धड़कन को बढ़ाए, तो वो जलाए जलन की आग, एक करे हमें सदा आबाद, तो दूसरा कर दे सब कुछ बर्बाद। इसमें है सब कुछ लुटा देने की तमन्ना, और उसमे में है छीनने की कामना, प्यार में इंसान सब कुछ भुला दे, पर नफरत में वह हर पल को याद रखे। इसमें होती है पाने की चाहत, केवल चाहत, और उसमें होती है जीते जी मिटा देने की हैवानियत। एक मानव को धरती से उठा, आसमां के सपने दिखाए, तो दूसरा उसे आसमां से जमीं पर का पटके। प्यार की खूबी,यह जानवर को भी इंसा बना दे, और नफरत,उस इंसान को जानवर बना डाले। यह बनाए जीवन को, खुशहाली के वास्ते, और वह ढूंढ़े पल-पल उसे मिटा देने के रास्ते। कहते हैं लोग,कि ये दोनों एक सिक्के के दो पहलू हैं, प्यार और नफरत दोनों हमारे दिल के भीतर है, दोनों कभी चेहरे पर उभर आए तो कभी जिगर में ही दब जाए। लेकिन है दोनों में इतनी ताकत, कि एक पल में ही मानव को बना और मिटा डाले।