बंगाल: VC से इजाजत ले कर ही यूनिवर्सिटी टीचर कर सकेंगे मीडिया से संवाद

पश्चिम बंगाल में सरकार की ओर से संचालित कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में टीचर्स के लिए प्रस्तावित नए नियमों का खासा विरोध हो रहा है. इसे सेंसरशिप की कोशिश बताया जा रहा है. ‘पश्चिमी बंगाल विश्वविद्यालय और कॉलेज (प्रशासन और नियमन) अधिनियम 2017’ के प्रस्तावित नियमों के मुताबिक कर्मचारियों पर मीडिया से संवाद करने पर पाबंदियां लगाई जा सकती हैं.

नए नियमों की 28 पेज की ड्राफ्ट कॉपी में लिखा गया है कि विश्वविद्यालय का कोई भी कर्मचारी बिना कुलपति की लिखित अनुमति के प्रेस या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में अपने नाम से, अज्ञात नाम से या किसी और के नाम से ऐसा कुछ प्रकाशित नहीं करेगा या बयान या राय नहीं देगा जिसमें राज्य सरकार या केंद्र सरकार की किसी मौजूदा नीति या कार्रवाई की आलोचना होती हो.

‘आधिकारिक सूचना के संवाद पर रोक’ शीर्षक वाले अध्याय में प्रस्तावित किया गया है कि नियुक्ति की वजह से कोई भी आधिकारिक सूचना हासिल होती है तो कोई भी कर्मचारी उसे किसी आउटसाइडर या प्रेस या इलेक्ट्रोनिक मीडिया को बिना कुलपति की अनुमति के जारी नहीं करेगा. इस नियम के उल्लंघन पर संबंधित कर्मचारी पर अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाना प्रस्तावित है.

कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी के टीचर्स ने प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया है. जाधवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (JUTA) से जुड़े पार्था प्रतिम रे ने कहा, ‘इसमें (ड्राफ्ट) उच्च शिक्षा की बेहतरी के लिए कुछ नहीं है. इसे सिर्फ और सिर्फ टीचर्स के अपमान के मकसद से लाया गया है. साथ ही टीचर्स को सरकार के नियंत्रण में लाने और उनके लोकतांत्रिक और सांविधानिक अधिकारों को कुचलने की मंशा लगती है. इस कदम से सरकार हमारा मुंह बंद करना चाहती है.’

JUTA ने प्रस्तावित एक्ट को उसके नियमों के साथ रद्द करने की मांग के साथ 26 अप्रैल को यूनिवर्सिटी में विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है. लेफ्ट ने भी इस मुद्दे पर JUTA को समर्थन दिया है.

वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने प्रस्तावित ड्राफ्ट को लेकर टीचर्स की आशंकाओं को खारिज किया है. बंगाल के शिक्षा मंत्री पार्था चटर्जी ने कहा, ‘ऐसे आरोप कि यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स के अभिव्यक्ति के अधिकार को दबाया जा रहा है, सच से काफी दूर है. ये पूरी तरह झूठ है. हमने साफ किया है कि ऐसा कोई नियम लागू नहीं किया जा रहा है.’

मीडिया से संवाद पर रोक के साथ ड्राफ्ट में ये भी प्रस्ताव है कि स्टाफ का कोई भी सदस्य साहित्यिक, कलात्मक या वैज्ञानिक सामग्री से अतिरिक्त कुछ भी प्रकाशित कराना चाहता है तो उसे पहले कुलपति से अनुमति लेनी होगी. राज्य सरकार ने ‘पश्चिमी बंगाल विश्वविद्यालय और कॉलेज (प्रशासन और नियमन) अधिनियम 2017’ के अनुरूप नए नियम तय करने के लिए सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. ये एक्ट 2017 में राज्य विधानसभा की ओर से पारित किए जाने के बाद अमल में आया था.