लोकपाल कानून जो कि दिल्ली विधानसभा ने पास किया था उसमं े बहुत सारी कमियां है और उसमें
कहा गया है कि लोकपाल आफिस में आए किसी भी भ्रष्टाचार के मामले में जांच अधिकारी की नियुक्ति
का अधिकार सत्ताधारी पार्टी को होगा तथा उन्हांने े सत्ताधारी पार्टी के विधायकों को लोकपाल को
विधानसभा में एक मोशन के द्वारा हटाने की विशेष शक्तियां भी दे डाली। क्या कोई भी संस्था इन
परिस्थितियों में बिना भय और निष्पक्ष रुप में चल सकती है। लोकपाल की अवधारणा को केजरीवाल
ने लोलपाल में बदल दिया। शायद दागी मंत्रियों और विधायकों के विश्वास के पीछे यही कारण है।
