विनय कुमार – नारी/महिला – साप्ताहिक प्रतियोगिता

नारी का सम्मान हो,
पूजे सकल समाज ।
हरपल सुख देत जो,
दुखियारी वो आज ।।

तू बेटी-बहना व माँ,
पत्नी तू कहलाय ।
नारी से नर होत है,
तू देवी कहलाय ।।

तुझको जब शिक्षा मिले,
तेरा हो उद्धार ।
तेरा हक तुझको मिले,
तुम आधी हकदार ।।

जलकर रौशन जो करे,
पूरा घर परिवार ।
मोमबत्ती बनकर वो,
करती है उपकार ।।

नारी को न लजाइये,
महाघोर यह पाप ।
नारी घर भी आपके,
इसे समझिये आप ।।