सलमान खान की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी, कल आएगा फैसला

जोधपुर: जोधपुर की अदालत में सलमान खान की जमानत अर्जी पर बहस पूरी हो गई है लेकिन इस पर फैसला अब कल यानी शनिवार को आएगा. जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अदालत में  सलमान खान की दोनों बहनें और  उनके बॉडीगार्ड शेरा पहुंचे थे.  गौरतलब है कि जोधपुर की अदालत ने दो काले हिरणों का शिकार करने के 20 साल पुराने मामले में पांच साल की कैद की सजा सुनाई थी.  इसके साथ ही कोर्ट ने सलमान खान पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने सैफ अली खान, सोनाली बेंद्रे, तब्बू, नीलिमा कोठारी को बरी कर दिया था. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देव कुमार खत्री ने 1998 में हुई इस घटना के संबंध में 28 मार्च को मुकदमे की सुनवाई पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. जोधपुर कोर्ट के फैसला सुनाए जाने के समय सभी आरोपी कलाकार सलमान खान, सैफ अली खान, तब्बू, सोनाली बेंद्रे और नीलम अदालत में मौजूद थे.

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क्या है पूरा मामला 

  • 2 अक्तूबर, 1998: कांकाणी में दो काल हिरणों का शिकार. जोधपुर के निकट कांकाणी गांव के भागोडा की ढाणी में दो काले हिरणों का शिकार किया था. यह घटना ‘हम साथ साथ है’’ फिल्म की शूटिंग के दौरान की है.
  • 2 अक्तूबर, 1998: वन विभाग ने शिकायत दर्ज करके सात को आरोपी बनाया. आरोपियों में सलमान खान, सैफ अली खान, सोनाली बेंद्रे, नीलम, तब्बू, दुष्यंत सिंह और दिनेश गावड़े). इस मामले के चश्मदीद गवाह( छुगाराम, पूनम चंद, शेराराम और मंगीलाल)
  • 9 नवंबर, 2000: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत में इस पर संज्ञान लेकर मामला दर्ज किया गया.
  • 19 फरवरी, 2006: आरोपों पर दलीलें हुई और आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए. दोनों पक्षों ने उच्च न्यायालय में पुनरीक्षा याचिकाएं दायर की.
  • 23 मार्च, 2013: निचली अदालत में सभी आरोपियों के ऊपर संशोधित आरोप तय.
  • 23 मई, 2013: मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेटकी अदालत में मुकदमे की शुरुआत. सुनवाई के दौरान अदालत के सामने गवाही देने वाले अभियोजन के कुल गवाह 28 थे.

27 जनवरी, 2017: अपना बयान दर्ज कराने के लिए सभी आरोपी अदालत में उपस्थित हुए.

  • 13 सितंबर, 2017: निचली अदालत में अभियोजन के द्वारा अंतिम दलीलें शुरू हुईं.
  • 28 अक्तूबर, 2017: बचाव पक्ष द्वारा अंतिम दलीलें शुरू हुई.

24 मार्च, 2018: निचली अदालत ने अंतिम दलीलों को पूरा किया.

  • 28 मार्च, 2018: निचली अदालत ने आदेश सुरक्षित रखा.
  • 5 अप्रैल, 2018: फैसला सुनाया गया.