गरीबी ने जो दिया वो अमीरी क्या देती ,
मखमल का बिस्तर तो देती मगर नीद नहीं देती
हो लाख आयेब मुझमें छुपा लेती है अमीरी ,
गरीबी ठीक से तन भी ढकने नहीं देती
हमारे घर कच्चे है मगर ईमान पक्का है ,
यही खुददारी हमें किसी के सामने झुकने नहीं देती ,
हमारी बस्तियों में चिरागो की जरुरत नहीं पड़ती ,
रोशनी मोहब्बत की कभी अंधेरा होने नहीं देती ,
कफ़न सब का एक जैसा होता है “आलम”
मौत भी अपने साथ कुछ भी ले जाने नहीं देती