नई दिल्ली । बरसाती नालों के जरिये बिना ट्रीट किए यमुना में गिर रहे
सीवेज और औद्योगिक अपशिष्ट को लेकर राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी)
गंभीर है। इस संबंध में दायर याचिका पर एनजीटी ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रलय
और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है।एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र
कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र और दिल्ली के साथ-साथ उत्तर प्रदेश
सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दो
सप्ताह के भीतर इस मामले में जवाब देने को कहा है। एनजीटी अब 20 जनवरी
को सुनवाई करेगा। पीठ ने यह नोटिस पर्यावरण कार्यकर्ता सुशील राघव और
आकाश वशिष्ठ की ओर से दायर याचिका पर जारी किया। याचिकाकर्ताओं का
आरोप है कि साहिबाबाद व इंद्रपुरी ड्रेन और बंधला कैनाल के जरिये औद्योगिक
अपशिष्ट और सीवेज बिना ट्रीट किए ही यमुना में बहाया जा रहा है। एक अन्य
मामले में एनजीटी ने गंगा में बढ़ रहे प्रदूषण के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश सरकार
की जमकर खिंचाई की। एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार, खासकर राज्य जल
निगम के जवाब पर नाखुशी जताई। पीठ ने कहा, आपकी अक्षमता के चलते
गंगा नदी तकलीफ में है। उत्तर प्रदेश जल निगम गठन से लेकर अब तक
अपने मौलिक कर्तव्य का निर्वहन करने में नाकाम रहा है। एनजीटी ने कहा कि
गंगा को स्वच्छ बनाने की परियोजना राष्ट्रीय है और प्रशासन से इस संबंध में
काफी उम्मीदें हैं।