साहित्य दुर्भाग्य-सी, हस्त-रेखाएँ SaraSach — October 9, 2014 “जेहन-में, किसी-के, दिशाएं, नई हैं! तो, आकुल-कोई, लिए, हस्त-में, रेखाएँ, कई हैं! हैं-मिलते, पँख उन्हें, सफल-उड़ान, जो, आत्मबल-की चाहते! शेष, दिखे, हाथों-में, भाग्य-की, विफल-लकीरें, जीवनपर्यन्त-तलाशते!!”____दुर्गेश वर्मा बंगाल: पंचायत चुनाव से पहले BJP कार्यकर्ताओं पर हमले, दी TMC से बदले की धमकीजब इंटरनेशनल मैग्जीन के एडिटर को प्रियंका ने कहा- ‘Get Out…’नई सोच का परिणाम है पितृ दिवस Share on: WhatsApp ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Writer: SaraSach Web: http://www.sarasach.com Web & Print Media