साहित्य दुर्भाग्य-सी, हस्त-रेखाएँ SaraSach — October 9, 2014 “जेहन-में, किसी-के, दिशाएं, नई हैं! तो, आकुल-कोई, लिए, हस्त-में, रेखाएँ, कई हैं! हैं-मिलते, पँख उन्हें, सफल-उड़ान, जो, आत्मबल-की चाहते! शेष, दिखे, हाथों-में, भाग्य-की, विफल-लकीरें, जीवनपर्यन्त-तलाशते!!”____दुर्गेश वर्मा समाजवादी पार्टी चुनाव के लिए तैयार-शिवपालदिल्ली में दिखेंगे वर्टिकल गार्डन, जानिए कितना कारगर होगा ये कदमटीचर भर्ती: 8 हजार पदों पर मिलेगी नौकरी, ऐसे करें अप्लाई Share on: WhatsApp