सारा सच प्रतियोगिता के लिए रचना*
**विषय: चुनाव*
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**वो सिर्फ तुम्हारे वोट नहीं*
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(छंदमुक्त काव्य रचना)
ना शिक्षा की जरूरत है ना है कोई इम्तिहान,
ऐसे नेताओं की वजह से कैसे बनेगा कोई भी देश महान।
इसीलिए किसी भी चुनावों में चुनकर सच्चे नेताओं को,
करो तुम अपने ही वोटों का सही मान-सम्मान।
जब भी आते है चुनाव हमारे देश में,
तभी गांव-गांव,शहर-शहर त्योहार सा मौसम लगता है।
उसी वक्त किए जाते है वादें और दिखाते है नए नए ख्वाब,
ऐसी चुनाव प्रक्रिया से यहां कोई भी चुनकर आते है।
साम-दाम-दंड-भेद यही होता है सभी चुनावों में,
और रातें रंगीन हो जाती है शहर-शहर,गांव-गांव में।
जहां बिक जाते है अनमोल वोट चुनावों में,
ऐसे चुनकर आए नेता समाज और देश को कहां देखते है।
खुर्ची का लालच रखकर मन में जो बन जाते है नेता,
ऐसे नेताओं को क्या जनता और क्या देश की एकता और अखंडता है?
इसीलिए मत बेचो वोट अपने किसी भी चुनावों में,
वो सिर्फ तुम्हारे वोट नहीं,उसी वोटों में देश का उज्जवल भविष्य है।
वोटों को बेचकर नहीं बदलता यहां किसी का भाग्य,
वोट और ज़मीर यह भी क्या कोई बेचने की चीज है।
जिन नेताओं के विचारों में है स्वातंत्र्य,समता,मानवता और भाईचारा,
ऐसे ही नेताओं को चुन लो जिनके लिए देश और जनता ही सबकुछ है।
प्रगति,उन्नति और विकास के मुद्दों पर अब होते नहीं चुनाव,
जाति-धर्म और लालच ही यहां सभी मतदाताओं को दिखाया जाता है।
मंहगाई,बेरोजगारी और भूखमरी भले ही यहां बढ़ जाएं,
ऐसे हालातों के लिए अब कौन यहां जिम्मेदार है?
ना शिक्षा की जरूरत है ना है कोई इम्तिहान,
ऐसे नेताओं की वजह से कैसे बनेगा कोई भी देश महान।
इसीलिए किसी भी चुनावों में चुनकर सच्चे नेताओं को,
करो तुम अपने ही वोटों का सही मान-सम्मान।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
महाराष्ट्र