*सारा सच प्रतियोगिता के लिए रचना*
**विषय: राजनीति**
**अब इस राजनीति में*- – –
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(छंदमुक्त काव्य रचना)
बदल गए राजनीति के तत्त्व सभी,
अब इस राजनीति में वो नीति कहां है?
समता,बंधुता और देश-प्रेम ये सब बना है खेल,
अब इस राजनीति में जनता और देशहित कहां है?
राजनीति के सब यहां बदल गए दायरें,
अब यही राजनीति दिलों दिलों में बढ़ा रही है दरारें।
जाति-धर्म और हिन्दू मुस्लिम यही भेदभाव,
अब यहां राजनीति का एक ही ध्येय बन गया है।
नफरतों के बीज उगाकर सभी जनता के मन में,
यही राजनीति अपना खेल नया यहां खेल रही है।
उन्नति,प्रगति,बेरोजगारी और अमन के मुद्दों पर,
अब यहां कोई भी आवाज़ उठाता नहीं है।
कभी यहां पर होती है मंदिर मस्जिद की बातें,
कभी यहां पर होते है शहरों के नामों के चर्चे।
पर कभी महंगाई,बेकारी और नारी सुरक्षा पर कोई यहां बोलता नहीं,
ये कैसी राजनीति भारत को तोड़ने के लिए खेली जा रही है।
आज भी इस बदले हुए विज्ञानवादी युग में भी,
लालच और अमिषे दिखाकर ये राजनीति हो रही है।
फिर भी हमें शर्महया नहीं आती हमारी विद्या और काबिलियत पर,
ऐॆसी राजनीति के पीछे हम यहां आज भी अंधों की तरह भाग रहे है।
आज के इस दिनों में कोई भी अखबार देखो,
उसी अखबार का हर पन्ना पन्ना दहकता नज़र आता है।
कहीं पर दंगे-फसाद,कहीं पर लाठीचार्ज और कहीं पर बमों की आवाज,
क्या यही हमारी एकता,अखंडता और भाईचारा है?
अब तो जाग जाओ मेरे सभी देशवासियों,
और जान लो उनकी राजनीति जो सिर्फ उनके हितों के लिए ही चलाई जा रही है।
आज तुम सभी यहां पर पढ़ें लिखे और समझदार हो इसीलिए,
देखो कभी उनकी राजनीति में तुम और तुम्हारा भविष्य कहां है।
बदल गए राजनीति के तत्त्व सभी,
अब इस राजनीति में वो नीति कहां है?
समता,बंधुता और देशभक्ति ये सभी है दिखावा,
अब इस राजनीति में हमारा अखंड और खुशहाल भारत कहां है – – -?
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
महाराष्ट्र
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