ऋषियों की पावन भूमि पर,
दुश्मन ने पैर आज पसारा है !
सर धड से अलग कर देंगे हम,
जिस दुश्मन ने हमें ललकारा है !!
बहुत सुन चुके धमकी उसकी,
अब रक्त उसका बहाना है !
जान देकर आज वतन पर ,
कश्मीर पर तिरंगा फेहराना है !!
हद को पार करता है जब वो ,
खून हमारा खोल जाता है !
युद्ध की हुंकार भरते हैं हम जब ,
वो जड़ से दहल जाता है !!
हर बार की ललकार का उसको ,
इस बार ही सबक सिखाना है !
सर काट कर आज दुश्मन का ,
माँ काली को बलि चढ़ाना है !!
काश मेरा भी खून आज ,
काम देश के आ जाता !
भारत माँ के चरणों में ,
अपना शीश नवा जाता !! ,
————संजय कुमार गिरि