मुगलों के जमाने कि शानदार धरोहर है मकबरा

 

 

 

 

 

रूपनगर ( पियूष ) मुगलों के जमाने का मकबरा जिसे आज भीं पयर्टक देखने व् इस पर अनुसंधान करने रूपनगर आते है | प्रशाशन कि अनधेखी के कारण दुर्दशा का शिकार होकर रह गया है गुर्तलब है कि रूपनगर शहर जो प्रकति कि गोद में बसा है को बहुत ही दुर्लब धरोहर का गोरव प्राप्त है | ये मकबरा मुगलों के जमाने की एक धरोहर है | जिसे जमाल खान का मकबरा भी खा जाता है | यह पुरतं कल का अदभुत नमूना है | मकबरे में दो मंजिले तथा उपर गुम्बद बना है | मकबरे में पुरातन रगीन चित्रकारी भी जिला प्रशासन तथा वक्फ बोर्ड की अनदेखी के कारण समाप्त होने की कगार पर पहुच गई है | कहा जाता है कि पुराने में उकत मकबरे में एक सुरग थी | जो अब बंद हो चुकी है इसके अतिरिक्त मकबरा डाक ले जाने वालो के लिए विश्राम घर माना जाता है तथा उस समय डाक लेकर आने जाने वाले घुड़सवार बदलते थे | ये मकबरा जमाल खान द्वारा बनया गया का , आगे विस्तार शहंशाह शेरशाह सूरी ने किया | बेशक ये मकबरा दुर्लभ धरोहर है तथा इस मकबरे के साथ बनी मीट मार्कीट, सामने पड़ी गंदगी, कुछ अवैध कब्जो को लेकर उकत मकबरा दुर्दशा का शिकार हो रहा है तथा इसके साथ खड़े पिलर भी खोखले हो रहे है | आज भी दोपहर कि कडकती धुप में कुछ स्कूली बचे मकबरे को देखने व् इस पर शोध करने पहुचे थे लोगो ने मग की कि मकबरे का रख -रखाव तथा इस के इर्द -गिर्द की सफाई व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा कायम रखा जाये |