जहां तक खुला आसमाँ हैं, उड़ान भरता ही रहूँगा,
सफ़र मेरा शुरू हुआ हैं, मुकाम हांसिल ही करूंगा |
तुम्हारा साथ है फिर भी तुम नहीं हो मेरे साथ में,
नज़रें बड़ी तीखी हैं लोगों की उनसे बचकर रहूँगा |
दुआओं पे भी लोग बेवजह कोहराम मचाने लगते हैं,
वो दवा के नाम ही ज़हर पिलाएगा तो लडता रहूँगा |
तू कहता है हम हिंदू और मुसलमानों के संग हूँ सदा,
मज़हब की टोपी से इन्कार और कहें आका का रहूँगा |
बुजुर्गों की ईंट बजाने से पहले सोच लो ज़रा तुम काफ़िर,
रास्ते के काँटें हटाने वालों पे करता वार कैसे सहता रहूँगा |
तू खुदगर्ज़ है औकात क्या है तेरी ये सब लोग जानते हैं,
तेरे ही दामन में खून के कितने छींटे हैं वो दिखाता रहूँगा |
पंकज त्रिवेदी