एक छोटी बच्ची की मानसिक कल्पना का वर्णन:-मेरे घर के बाहर नीम का पेड़ है
मेरे घर के बाहर नीम का पेड़ है जो मेरे मन को भाता हैं जब मे कमरे से एक कुर्सी पर बैठकर उस पेड़ को देखती हूँ तो मुझे वह पेड़ बहुत सुंदर प्रतीत होता हैं क्योंकि धूप में पेड़ अजब सा चमक रहा होता हैं और दूसरा हवा के कारण के पत्ते हिलते रहते है और उसको देखकर मेरा मन बहुत प्रभावित व खुशी होती हैं वास्तव में उस समय का द्दश्य बहुत खूबसूरत लगता है।।।
उस पेड़ पर नीमोलियो के जो फूल आते हैं वह मन को इतना भाते हैं जो कि दिल की गहराई को छू जाते है मानो जैसे उस पेड़ के सारे पत्ते आपस मे खेल रहे हो उस द्दश्य को देखकर ऐसा लगता हैं जैसे सारे कितने मिल-जुल कर ओर कितने खुशी से रहते हैं”मेरा भी मन करता है की उनकी खुशियों मे शामिल हो जाऊ लेकिन ऐसा तो हो ही नही सकता क्योंकि ना तो मैं उस पेड़ पर रह सकती हूँ और ना ही मैं उन पत्तों की तरह लहरा सकती हूँ …………
लेकिन मैं ऐसा जरूर चाहती हूँ कि मेरे परिवार के सभी सदस्य भी इसी पेड़ की तरह मिल-जुल कर रहे हमेशा “………
सोचने की बात है एक छोटा बच्चा ऐसा सोच सकता हैं तो हम क्यों नहीं?
उस बच्ची से पूछा मैंने क्या बनना चाहती हो बच्ची ने जवाब दिया एक जागृत इंसान ताकि अपने आसपास के वातावरण को जागृत /जीवित रख सकूँ ००००००००० जहां देखो वही लोग अपना मतलब साधते हुए नज़र आता हैं।।।।।
“अपने -अपने रंग में डूबा हुआ है हर कोई अब किसी को किसी से कोई वास्ता नहीं!!!!!