साहित्य मुक्तक स्वरचित SaraSach — September 5, 2014 मुक्तक जीने की जब भी चाह होती है और मुश्किल अथाह होती है जीत जाते हैं हालात भी गम से कोई तो कहीं और राह होती है 1 अश्रु का कण ह्रदय सीप बंद बनेगा मोती 2 द्वार दिल का दस्तक अपनापन नेह छलके 3 दानी सुमन सर्वस्व करे दान सदा हर्षाता नाजुक रिश्तों की डोर…!!Sridevi की याद में इमोशनल हुईं शिल्पा शेट्टी, पोस्ट किया हंसते-मुस्कुराते लम्हों का Videoरोहित वेमुला पर राजनीतिः राहुल पर बरसे पीयूष गोयल, मां राधिका वेमुला का पलटवार Share on: WhatsApp ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Writer: SaraSach Web: http://www.sarasach.com Web & Print Media