साहित्य मुक्तक स्वरचित SaraSach — September 5, 2014 मुक्तक जीने की जब भी चाह होती है और मुश्किल अथाह होती है जीत जाते हैं हालात भी गम से कोई तो कहीं और राह होती है 1 अश्रु का कण ह्रदय सीप बंद बनेगा मोती 2 द्वार दिल का दस्तक अपनापन नेह छलके 3 दानी सुमन सर्वस्व करे दान सदा हर्षाता विनय कुमार – नारी/महिला – साप्ताहिक प्रतियोगिताए कुर्बानी,तेरा नाम ही शहीद – दीपक अनंत राव “अंशुमान”IPL: महामुकाबले में आज आमने-सामने होंगे धोनी और कोहली! Share on: WhatsApp