साहित्य मुक्तक स्वरचित SaraSach — September 5, 2014 मुक्तक जीने की जब भी चाह होती है और मुश्किल अथाह होती है जीत जाते हैं हालात भी गम से कोई तो कहीं और राह होती है 1 अश्रु का कण ह्रदय सीप बंद बनेगा मोती 2 द्वार दिल का दस्तक अपनापन नेह छलके 3 दानी सुमन सर्वस्व करे दान सदा हर्षाता जेटली ने महाभियोग को बताया रिवेंज पिटीशन, कहा- लोया केस में प्रोपेगेंडा हुआ फेलयू पी के मुरादाबाद में गरजे ओवैसी, सपा को बताया दुश्मन पार्टी*पीएनबी में धोखाधड़ीः मुंबई ब्रांच में एक खरब रुपये से भी ज्यादा फर्जी लेनदेन का खुलासा, लुढ़के शेयर Share on: WhatsApp ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Writer: SaraSach Web: http://www.sarasach.com Web & Print Media