साहित्य कुंडलिया छंद – शांति पुरोहित SaraSach — September 14, 2014 मावट बरसे शरद ऋतु , घन गरजे घनघोर धूप,दूज का चाँद बन , घटा घटा चहु ओर घटा घटा चहु ओर , हड्डियाँ थरथर काँपे लहर शीत लहराय ,मुट्ठियाँ ठिठुरन नापें कहत शांति कविराय, माघ बारिश ना होती कोहरा चादर ले , हरित हरीतिमा सोती सुमित्रा महाजन ने महिलाओं से कहा: सबला बनकर लिखो एक नयी कहानीकिरण बाला – आदमी/पुरुष – साप्ताहिक प्रतियोगिताअमित शाह ने घूसकांड की आड़ में नीतीश पर बोला हमला Share on: WhatsApp ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Writer: SaraSach Web: http://www.sarasach.com Web & Print Media