साहित्य कुंडलिया छंद – शांति पुरोहित SaraSach — September 14, 2014 मावट बरसे शरद ऋतु , घन गरजे घनघोर धूप,दूज का चाँद बन , घटा घटा चहु ओर घटा घटा चहु ओर , हड्डियाँ थरथर काँपे लहर शीत लहराय ,मुट्ठियाँ ठिठुरन नापें कहत शांति कविराय, माघ बारिश ना होती कोहरा चादर ले , हरित हरीतिमा सोती आरक्षण के खिलाफ सोशल मीडिया का भारत बंद, जानें कहां कैसा रहा असरदिल्ली में दरिंदगी, मां के सहकर्मी ने बेटी को बनाया हवस का शिकारपंजाब में रेफरेंडम चाहता है AAP विधायक, सिसोदिया ने लताड़ा Share on: WhatsApp ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- Writer: SaraSach Web: http://www.sarasach.com Web & Print Media