बरसों की बरसों मांग पे आकाश में बादल दिखे ।
दो बूँद जल के वास्ते सागर यहाँ प्यासे दिखे ।।
सारी उमर शैतान ने रह रह लहू अपना पिया ,
फिर भी नहीं मरने दिया इस बात के कायल दिखे ।।1 ।।
दिन रात मेहनत का सिला मजदूर को कैसा मिला ,
बच्चों के तन पर चीथड़े माँ के फटे आँचल दिखे ।।2।।
तुला थी उनके हाथ में जब चाहा डाड़ी मार दी ,
असहाय के भगवान भी बलवान के लायल दिखे ।।3।।
माला ने हर गणमान्य का हंस हंस यहाँ स्वागत किया ,
उसमे गुथे फूलों के दिल सुईं से ‘सठ’घायल दिखे ।।4।।
आदित्य सठवारिया ‘सठ’