सबरजीत के शव से
किडनी और दिल नहीं मिला
पाक के नीयत कितने पाक़ हैं
दिल
दिल जहाँ रह गया
पाक के नीयत कितने पाक़ हैं
दिल
दिल जहाँ रह गया
वहीँ आत्मा भी तो रह गई
दिल तक वे संवेदनाएं पहुँच जाती
वो मिटटी बन कर आया
दिल तक वे संवेदनाएं पहुँच जाती
वो मिटटी बन कर आया
लेकिन वतन की मिट्टी को चूम न सका
जिनकी वज़ह से
जिनकी वज़ह से
वे आज उसकी बहन – बेटी के
आंसू पोछ रहा और गले मिल रहा है
उसकी बहन उन्हीं लोगों के
उसकी बहन उन्हीं लोगों के
सियासी दांव-पेंच को
मजबूत करने की
गुहार लगा रही है
बेटियों को नौकरी देने की दरकार है क्यूँ कि चलानी तो सरकार है
दिल मजबूर कर देता आत्मा को दुआएं देने के लिए
शायद
बेटियों को नौकरी देने की दरकार है क्यूँ कि चलानी तो सरकार है
दिल मजबूर कर देता आत्मा को दुआएं देने के लिए
शायद
शायद नहीं
यकीनन
एक पाक़ हिन्द दिल से
एक पाक दिल पाक़ हो जाये
पाक के नीयत कितने पाक़ हैं …