एक सुबह जब सूरज जागा
दंग रह गया देख अभागा
अंधियारे का लिये सहारा
किसने वीर सपूत को मारा
कैसे रचता धोखे का जाल
जान न पाए रहा मलाल
कितना सब्र है आज़माना
देख रहा है सारा ज़माना
तोड़ो सीमा शान्ति पथ की
है माँग अब युद्ध रथ की
कूटनीति जब सफल होगी
खत्म जांबाज़ों की फसल होगी
समय रहते सब जागो जानो
खतरे को अब तो पहचानी
शिवानी,जयपुर