भोजन में सप्लीमेंट्स की भी जरूरत

Sepliment P-5

आप कुछ सप्लीमेंट्स का उपयोग करके अपने
शरीर को अधिक मजबूत बना सकते हैं। अगस्त
2011 में ऑनलाइन स्टडी के बाद यह पाया गया
है कि ऐसे लोग जो ओमेगा 3 फिश ऑयल
सप्लीमेंट (1000 एमजी) का सेवन करते थे, वे
बहुत ही कम संख्या में अस्पताल में भर्ती होते हैं
या दिल का दौरा पड़ने से उनकी मौत होती है।
अमेरिका हार्ट एसोसिएशन ऐसे मरीजों को फिश
ऑयल सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं, जिन्हें
जिन्हें बार-बार हार्ट अटैक होने की शिकायत
होती है।

जब बात हमारे शरीर में पोषक
तत्वों को शामिल करने की होती है तो
पौष्टिक आहार से बेहतर और किसी
को नहीं माना जाता। हमारे खाने में
विटामिन और खनिज पदार्थ स्वयं ही
इस तरह से व्यवस्थित होते हैं कि
शरीर में वे आसानी से समाहित हो
जाते हैं। इसके अलावा अन्य कई पोषक
तत्व जैसे प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और
फाइबर भी आहार से प्राप्त होते हैं।
लेकिन इन सब के बावजूद हमें
सप्लीमेंट्स की जरूरत क्यों महसूस
होती है? अधिकतर डॉक्टर भी विटामिन
की गोलियां लेने की सलाह क्यों देते
हैं?
इसका जवाब बहुत ही आसान है।
गलत आहार का चुनाव, खाने में
कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल, जिस
कारण अधिक तनाव और वातावरण
प्रदूषित होता है और इनके कारण
शरीर में पोषक तत्वों का अधूरा समावेश
होता है या पोषक तत्वों में कमी रह
जाती है।
आप कुछ सप्लीमेंट्स का उपयोग
करके अपने शरीर को अधिक मजबूत
बना सकते हैं।
हृदय की सेहत के लिए ओमेगा 3:
अगस्त 2011 में ऑनलाइन स्टडी
के बाद यह पाया गया है कि ऐसे लोग
जो ओमेगा 3 फिश ऑयल सप्लीमेंट
(1000 एमजी) का सेवन करते थे, वे
बहुत ही कम संख्या में अस्पताल में
भर्ती होते हैं या दिल का दौरा पड़ने से
उनकी मौत होती है। अमेरिका हार्ट
एसोसिएशन ऐसे मरीजों को फिश ऑयल
सप्लीमेंट लेने की सलाह देते हैं, जिन्हें
जिन्हें बार-बार हार्ट अटैक होने की
शिकायत होती है। आप ओमेगा 3 को
अलसी के तेल से भी प्राप्त कर सकते
हैं। यह एक घुलनशील पदार्थ है, जो
वसा को कम करता है।
स्वॉय: यह खाने और मल्टी
विटामिन दोनों में पाया जाता है और
इसका प्रयोग ट्राइग्लिसराइड और
एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को कम करने
में भी किया जाता है। जिन महिलाओं
में हार्मोन संवेदनशील कैंसर जैसे ब्रेस्ट,
गर्भाशय कैंसर होता है, उन्हें अधिक
मात्र मे स्वॉय का सेवन करने की मनाही
होती है।
सीओक्यू 10: कोइन्जाइम क्यू
10 और सीओक्यू 10 एक शव्तिशाली
एंटीऑक्सीडेंट हैं, जो प्राकृतिक रूप से
शरीर में पाये जाते हैं। ये मरीज के
लिए बहुत लाभदायक होते हैं। ये
स्टेटीन्स के द्वारा होने वाले मसल्स
पेन और लीवर को खराब होने से
बचाते हैं।
विटामिन बी6, बी3, बी12 और
फोलिक एसिड: होमोसाइसटीन, एमिनो
एसिड से जुड़ी दिल की बीमारियों को
फोलिक एसिड कम करता है। विटामिन
बी 3 या नियासिन फली के सप्लीमेंट
के प्रयोग से ट्राइग्लिसराइड्स और
नुकसानदेह कोलेस्ट्रॉल में कमी आती
है, लेकिन अच्छे कोलेस्ट्रॉल में बढ़ोतरी
होती है। डॉक्टर से सलाह लेकर इसका
इस्तेमाल कर सकते हैं।
ईसबगोल: मूलरूप से यह फाइबर
का एक गाढ़ा अंश है। बढ़े हुए वजन
और ट्राइग्लिसराइड्स को कम करने
में मदद करती है। दिल से जुड़ी
बीमारी के खतरे को कम करने में यह
काफी उपयोगी है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत
करें –
प्रोबॉयोटिक: 2009 में किये गये
एक शोध में जनरल पेडियाट्रिक ने
दिखाया कि वे बच्चे जो प्रोबॉयोटिक
का प्रयोग दिन में दो बार करते हैं, ऐसे
बच्चों को बुखार होने का खतरा 73
प्रतिशत और खांसी का खतरा 62
प्रतिशत तक कम रहता है।
मनुका शहद: यह शहद मनुका
के फूल से प्राप्त होता है। यह रोग
प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ाता ही है, साथ
ही बैक्टीरिया के दुष्प्रभाव से भी बचाता
है। यह कई तरह के संक्रमण से भी
हमारी हिफाजत करता है।
बेटा केरोटिन: अमेरिका के मेडिसिन
इंस्टीटयूट का कहना है कि यदि आप
प्रतिदिन बेटा केरोटिन के 3-6 एमजी
का सेवन करते हैं तो आपको लंबी
बीमारी होने का खतरा कम हो जाता
है।
आंखों की सेहत के लिए: हरी
सब्जियों और गाजर के अलावा कुछ
और भी चीजें हैं, जिनके सेवन से
आंखों की रोशनी बेहतर होती है। इनमें
अंगूर, बेरी आदि प्रमुख हैं।
अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय नेत्र संस्था
के अनुसार, आंखों की रोशनी बनाए
रखने के लिए एंटीऑक्सीडेंट विटामिन
और जिंक का स्तर संतुलित रखना
बहुत जरूरी है। विटामिन सी, ई, बेटा
केरोटिन और जिंक मक्यूलर
डेजिनिरेशन होने के खतरे को 25
प्रतिशत तक घटा देता है। जिंक के
लिए दूध, दही, आलू, पनीर, बीन्स,
खरबूजे का बीज, डार्प चॉकलेट,
मूंगफली आदि का सेवन कर सकते
हैं। गाजर, पालक, साग, पŸाा गोभी
आदि में पर्याप्त मात्र में बेटा केरोटिन
पाया जाता है।