‘ऑल इंडिया तंज़ीम उलामा ए इस्लाम’ का वहाबी आतंकवाद के विरुद्ध कार्यक्रम
7 फ़रवरी दिल्ली में विशाल सूफ़ी राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ
भारत के सुन्नी सूफ़ी मुसलमानों की प्रतिनिधि सभा ऑल इंडिया तंज़ीम उलामा ए
इस्लाम का एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन सोमवार यानी 8 फ़रवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में
हो रहा है। कार्यक्रम की सारी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। सम्मेलन में आतंकवाद के विरुद्ध रणनीति
बनाने को लेकर समाज के प्रतिष्ठित उलामा और जनता की राय से जनमत बनाने का प्रयास करेंगे।
सम्मेलन में आतंकवाद के विरुद्ध फ़तवा जारी किया जाएगा और भारत सरकार के नाम ज्ञापन दिया
जाएगा।
तंज़ीम के प्रवक्ता शुजात अली क़ादरी ने बताया कि ऑल इंडिया तंज़ीम उलामा ए इस्लाम का प्रयास है
कि इस सम्मेलन में आने वाले लोगों तक यह संदेश पहुँचे कि आतंकवाद का ताल्लुक़ ख़तरनाक वहाबी
विचारधारा से है, इस्लाम से नहीं क्योंकि इस्लाम का तात्पर्य ही है ‘जो शांति की शरण’ में आ जाए। इस
बात को प्रमुखता से समाज में स्थापित करने के लिए तंज़ीम के उलामा एक फ़तवा भी जारी करेंगे
जिसमें यह समझाएगा जाएगा कि आतंकवाद का ताल्लुक़ इस्लाम नहीं, वहाबी विचारधारा से है। सभा के
बाद भारत सरकार के नाम विस्तृत ज्ञापन भी दिया जाएगा जिसमें कई मुद्दों पर प्रकाश डाला जाएगा।
तंज़ीम के पूरे भारत में दस लाख से अधिक लोग सदस्य हैं और वह भारत के सुन्नी सूफ़ी विचारधारा
यानी ‘सुन्नत व जमात’ की प्रतिनिधि सभा है जिसमें देश भर के दरगाहों, ख़ानक़ाहों और सूफ़ी मस्जिदों
के इमाम समाज के हितार्थ अपनी राय को प्रकट करते हैं।
कार्यक्रम की समर्थक संस्था दारुल उलूम राबिया बसरिया (निस्वाँ) के संरक्षक शाह मुहम्मद ने बताया कि
समाज के सम्मुख आ रही समस्याओं जैसे आतंकवाद, कट्टरता, सामुदायिक और साम्प्रदायिक हिंसा और
इससे निपटने के मुद्दे पर समाज के अंदर काफ़ी गहमागहमी है। वैचारिक रूप से शांतिप्रिय सूफ़ी
समुदाय की इच्छा है कि आतंकवाद और कट्टरता पर वह खुलकर अपनी राय रखे और वैश्विक
आतंकवाद के लिए ज़िम्मेदार वहाबी विचारधारा को पालने वालों का पर्दाफ़ाश करे। इसी क्रम में ऑल
इंडिया तंज़ीम उलामा ए इस्लाम सोमवार यानी 8 फ़रवरी को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक
दिवसीय विशाल राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित कर रही है जिसमें प्रमुख वक्ता के रूप में तंज़ीम के
संस्थापक अध्यक्ष मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी अपने विचार रखेंगे जबकि सम्मेलन की अध्यक्षता
माहरारा शरीफ़ के प्रमुख सज्जादानशीन प्रोफ़ेसर डॉ. मुहम्मद अमीन मियाँ करेंगे। सम्मेलन में क़रीब 5
हज़ार सूफ़ी विचारकों और हज़ारों आम सूफ़ी मुसलमानों के शरीक़ होने की ख़बर है।
उलामा से मुख्य अतिथि रज़ा एकेडमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सईद नूरी सम्मेलन में बताएंगे कि भारत को
वैश्विक आतंकवाद से बचाने के लिए हमें तीन मुद्दों पर सक्रीय रूप से कार्य करना होगा। वक़्फ़ बोर्ड से
वहाबी क़ब्ज़े हटाने होंगे, हज कमेटियों का पुनर्गठन करना होगा और भारत के स्कूल एवं मान्य
विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम से वहाबी सामग्री हटाकर सूफ़ी वैचारिक इस्लामी शिक्षा की तरफ़ जाना
होगा।
तंज़ीम के अध्यक्ष मौलाना मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी ने कहाकि देश में वक़्फ़ नियंत्रक संस्था
‘सीडब्ल्यूसी’ यानी केन्द्रीय वफ़्फ़ परिषद् और इसके अधीन चलने वाली संस्था राष्ट्रीय वक़्फ़ विकास
परिषद् यानी ‘नवाडको’ और राज्य वक़्फ़ बोर्डों में राज्य सरकारों ने अधिकांश वहाबी लोगों को ज़िम्मेदारी
दे रखी है जो ना सिर्फ़ वक़्फ़ सम्पत्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं वरन् सऊदी अरब के इशारे पर वक़्फ़
सम्पत्तियों और वक़्फ़ के अधीन मस्जिदों के इमामों के द्वारा देश में वहाबी विचारधारा के प्रसार के लिए
काम कर रहे हैं। उन्होंने कहाकि सोमवार के सम्मेलन में स्कूलो, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में इस्लामी
शिक्षा के पाठ्यक्रम और हज कमेटियों में वहाबी लोगों के कब़्ज़ों के विरुद्ध भी प्रस्ताव पारित किया
जाएगा।
तंज़ीम के इस महत्वपूर्ण एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में भारत सरकार के नाम ज्ञापन में और भी कई
राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मुद्दों पर समाज की राय को रखा जाएगा। कार्यक्रम में अजमेर दरगाह के
मेहदी मियाँ, मन्नान रज़ा ख़ाँ, सुहैल मियाँ, फ़ुर्क़ान अली, मुईनुद्दीन अशरफ़, फ़तेहपुरी मस्जिद के मुफ़्ती
मुहम्मद मुकर्रम अहमद, मुहम्मद हनीफ़ रज़वी, ग़ुलाम रसूल, अकबर अली फ़ारूक़ी, तहतीर अहमद और
निज़ामुद्दीन समेत क़रीब 5 हज़ार सूफ़ी उलेमा शरीक़ होंगे। कार्यक्रम की सभी तैयारियाँ पूरी कर ली गई
हैं।