*अंतरराष्ट्रीय हिन्दी साहित्य प्रतियोगिता मंच – “हमारीवाणी”*
*प्रतियोगिता का विषय*
*भूकंप / ज़लज़ला / आंधी / तूफान / ज्वालामुखी / तबाही / नुकसान*
*ज्वालामुखी*
भूकंप ज़लज़ला आंधी तूफान सा उठा,
ज्वालामुखी तबाही नुकसान हो गया ।
था ग्लेशियर सा तूफान सा मचा,
ज्वालामुखी का मुख देखो खुल गया ।
हो गया नुकसान देखो सबसे भारी है,
आज उगाली ज्वालामुखी ने चिंगारी ।
कहीं आग शोले कहीं बह रहा लावा,
ना मिल रहा पानी बस बह रहा लावा ।
उत्कंठा अगर आज सब उदास है,
हिम्मत ना हारो हिम्मत सबके पास है।
हिम्मत के दम पर काम सब कर दिखाएंगे,
ज्वालामुखी क्या आग के गोले हम उठाएंगे।
सारा सच कहता है सुनलो सब बात,
आपात की घड़ियों में देना तुम सबका साथ ।
सब अपने ही साथी सब अपने ही हैं,
ना कोई गैर यहां सब अपने ही भाई हैं ।
संकट की घड़ी में सब साथ निभाएंगे,
जो बिछड़ गए हैं उनसे हम मिलने को जाएंगे ।
याद रहे सदियों सदी रीत यहां की,
हे परिवार सी प्रीत जहां की।
हिम्मत ना हारे हम सब सबके साथ है,
सच्ची श्रद्धा भक्ति और आत्मविश्वास है ।
फट ना पाए अब कोई ज्वालामुखी,
मिले जीवन सुखी शांति और समृद्धि।
रचना का शीर्षक *ज्वालामुखी*
रचना पूर्ण रूप से मौलिक है सत्य एवं प्रमाणित है
कवि सुरेंद्र कुमार जोशी
ग्राम- जोलाय
तहसील- सोनकच्छ
जिला -देवास /मध्य प्रदेश