हमें तो अपनों ने ही लूट कर, खुर्द-बुर्द कर दी वक्फ प्रॉपर्टीया : मो. तारिक (भोपाल) ऑल इंडिया में मुस्लिम समाज की असंख्य बेश-कीमती प्रॉपर्टीयां खुर्द बुर्द कर दी गई है ! वक्फ प्रॉपर्टीया रियासतो द्वारा दान की हुई नहीं बल्कि समाज के हितों को ध्यान में रखते हुए मुसलमानों ने अपने जीवनकाल में अल्लाह के नाम से अल्लाह के नाम पर अपनी संपत्तियां अपनी मंशाअनुसार मस्जिद, मदरसा, धार्मिक प्रतिष्ठान, गरीब, बेसहारा, विकलांग, विधवा के रहन-सहन इस्तेमाल या उसकी आमदनी से उनका गुजर बसर के लिए दान की गई संपत्तियां ! दान की गई संपत्तियों की निगरानी, व्यवस्था सुचारु रुप से संचालन हेतु कमेटियां शर्त अनुसार मंशा अनुसार तय की जाती रही जो बाद में सेंट्रल वक्फ बोर्ड, प्रदेश बोर्ड या ट्रस्टों के हवाले ही रही !
ऑल इंडिया में मुस्लिम समाज की असंख्य बेश-कीमती प्रॉपर्टीयां वक्फ बोर्ड के अलावा ट्रस्टों के अधिकार क्षेत्र में भी मुसलमानों ने अल्लाह के नाम से अपनी मंशा अनुसार दान की गई संपत्तियां हैं जिन्हें मुस्लिम समाज के प्रतिष्ठित सम्मानीय व्यक्तियों ने जो ट्रस्टी थे या निगरानी व्यवस्था सुचारु रुप से संचालन हेतु अधिकार जिनके पास थे उन्होंने प्रशासनिक स्तर पर सांठगांठ कर शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज ट्रस्ट नाम कटवाकर/ हटवाकर अपने व अपने वारिसों का नाम दर्ज करवा कर विक्रय कर दी !
मध्य प्रदेश के जिला बुरहानपुर पूर्व जिला (खंडवा इ. नि.) सन् 1953 में सब कमिश्नर अंडर सेक्शन 4 ऑफ द मध्य प्रदेश पब्लिक ट्रस्ट एक्ट 1951 (xxx of 1951) for the registration of the said public trust कदम-ए-रसूल पब्लिक ट्रस्ट के नाम पंजीयन संस्था के ट्रस्टी व मैनेजर ने अपने ट्रस्ट में दर्ज खसरा क्रमांक 204, 205, 206, 207, 347 जो वर्तमान में शासकीय राजस्व विभाग अभिलेख में खसरा क्रमांक 297 है का कुल रकबा 18 एकड़ 75 डिसमिल की भूमि जो वर्ष सन् 1605 में ए डी मोहम्मद मौजम इंपीरियल ऑफ डेल्ही ग्रांटेड फाइल फील्ड टू सय्यद अ. सलाम फार इरेटिंग ए बिल्डिंग ए मास्क एंड प्लांटिंग ए गार्डन जो दर्ज है !
सन 1953 में ट्रस्ट ने सन 1605 की भूमि को अपने नाम कर ली ! दानकर्ता की भूमि 18 एकड़ 75 डिसमिल जो मौके पर अपर्याप्त है जिसकी कीमत बाजार 1 अरब, 63 करोड़, 35 लाख बताई जा रही है !
“अब तो वैचारिक द्वंद हैं ”
@मो. तारिक (स्वतंत्र लेखक)