तारे बराती , अम्ब धरा की शादी, रवि घराती ।
धरा आँचल, अनेक चाँद बने, सफेद सोना ।
स्फुटित मिले , कपास सेमल से , चाँद के टीले ।
चट करती , तम्बू तानता सूर्य , शीत सताती ।
पड़ोस राही , कॉफी सहेली शीत , विदा हो गई ।
हँसते बौर , खिलखिलाते रुई , शीत बिदाई।
ढीठ आकांक्षा , अफरी शीत धारा , बिछुड़ती लौ ।