जले दीप को
गर्म चाय प्याली को
कौतुक में स्पर्श को
धैर्य स्व माँ को
डुबो दी ऊँगली को
सीख देने शिशु को
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दो कदम पीछे हट कर ज्यूँ छलांग भरते हैं
तो
अविवेकी की पहचान क्रोधी
हाँ तो
मत ललकारो उन्हें , जिनके पास कुछ खोने के नहीं होता
नहीं तो
मूलमंत्र है सम्भाल कर रखो
मानोगे नहीं ……. जिद्दी हो …… सैद्धांतिक तो बुजुर्गों के बकबक बुढ़ापे की निशानी है …… प्रायोगिक ही व्यावहारिक होता है …… ये कठकरेजि जानती है
महबूब भी बहुत जिद्दी था ……. उसे लाल चीज छूने की ज़िद थी ….. जलते लैम्प लालटेन का शीशा …. बिहार में बिजली की दुश्मनी बहुत पुरानी है …..
गर्म चाय की प्याली ….. दादी गोद में बैठाये रखती
लकड़ी गोहरा की अग्नि …… तब गैस घर में नहीं आया था ….. घर में पेड़ पौधे व गाय रखने का फायदा था
उसके लपकने पर सब खुश होते ……. लेकिन मेरी जान अटकी रहती …… एक दिन उसकी ऊँगली जला ही दी ….. तब सब मुझे कहने लगे ……. कठकरेजि
बुजुर्गों के पास ज्ञानी बुकची होती है ….. बकबक नहीं