सदियों से निरीह और दबी हुई जनता की ईश्वर हैं ये
जीती रही है असंख्य जमात
सिर्फ इन्हीं की बदौलत कठिन से कठिन समय में
कुछ न कर पाने की अवस्था में
निकला है हृदय का लावा
निकली है मन की आग
आवेश और पीड़ा
सिर्फ इन्ही की मार्फत
भारत जैसे अभागे देश में
करोड़ों लोगों के लिए मंत्र रही हैं ये पवित्र
उन्हे फिर-फिर जिंदा करती हुई ।
विमलेश त्रिपाठी
कोलकाता