
आज चल कलम तूहीं बता जन्म मृत्यु होता है क्या। इस अनंत प्रश्न में उलझ चुकी हूं है जीवन का रहस्य क्या। जन्म जीवन का है आरम्भ मृत्यु उसका होता अंत। जन्म मृत्यु संस्कार जीवों का है यही आधार जीवन का। ले जन्म जीव जीवन संग आए इस संसार में। है कर्मभूमि यह जन्मभूमि लाए अपने व्यवहार में। यह जन्म हुआ कुछ अर्थ लिये समझें इसे बिन व्यर्थ किये। कर्म करें बिन स्वार्थ किये हो उद्येश्य,परमार्थ लिये। रखें सुरक्षित प्रकृति जीव संग है यही परमात्मा मेरा। क्षिति ,जल ,पावक ,गगन समीरा पंचतत्व मिल बने शरीरा। होगा पुनः जन्म दुनियाॅ में है प्रश्न यह अनिश्चित। होगा मृत्यु सभी जीवों का है प्रश्न परम निश्चित। क्षमा दया तप त्याग संग करें कर्तव्य सदा प्रतिपल। सार्थक होगा जीवन उसका होगा जन्म तभी सुफल। अब जन्म मृत्यु के अनंत प्रश्न संग उलझें न ,है यह भंवर। सर्वजनहित कर सदगति पाऐं रहे नाम सदैव अमर।