मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी का ऐलान किया तो सबसे पहला बिगड़ने वाला आर्थिक आंकड़ा था केन्द्रीय रिजर्व बैंक का कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स. आसान शब्दों में इसे कहा गया कि नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था में डिमांड खत्म कर दी. नवंबर 2016 के बाद महीने दर महीने रिजर्व बैंक के आंकड़े गिरी हुई डिमांड दर्शाते रहे. इससे राहत केन्द्रीय बैंक को मई 2017 में मिला जब एक बार फिर कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स नोटबंदी के पहले के स्तर पर पहुंचा.
इससे पहले यह आंकड़ा कुछ दिन और सामान्य रहता, केन्द्र सरकार ने जुलाई में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागू कर दिया और कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स एक बार फिर सामान्य से नीचे की ओर रुख करने लगा. सामान्य भाषा में कहा गया कि नोटबंदी के बाद जीएसटी ने देश में डिमांड को झटका दिया है लिहाजा दोनों की फैसलों में केन्द्र सरकार की दूर्दर्शिता में कमी देखी गई.