देवेन्द्र प्रसाद – जवान/फौजी/सैनिक – साप्ताहिक प्रतियोगिता

सीमाओं की रक्षा करते।
कभी नही दुश्मन से डरते।
आंखों में सपने लेकर,
इस प्यारे हिन्दुस्तान की।
जय हो वीर जवान की।।

दंगा हो या कोई अशान्ति।
बिन इनके कहां है शान्ति?
दिल में रखते प्यारी मूरत,
सब हिन्दू-मुसलमान की।
जय हो वीर जवान की।।

लोगों से जो वादा करते।
कभी ये उससे नही मुकरते।
देश की माटी ऐसे पूजें,
जैसे पूजा हो भगवान की।
जय हो वीर जवान की।।

प्राणों से प्यारा इन्हें देश लगे।
चाहत इनकी-सब लोग जगें।
हर क्षण जय जयकार लगाते,
इस भारत देश महान की।
जय हो वीर जवान की।।

मम्मी के हैं आंखों के तारे।
बहना के इज्जत के प्यारे।
सूरत मन में है पापा की,
चौड़ी छाती के सम्मान की।
जय हो वीर जवान की।।

कविता हो या कोई कहानी।
सब रचना इनकी दिवानी।
फिर भी पुरी नही हो पाती,
गाथा इनके अभिमान की।
जय हो वीर जवान की।।