नीरज कुमार द्विवेदी – जवान/फौजी/सैनिक – साप्ताहिक प्रतियोगिता

मेरा प्रथम प्रणाम है उन वीर जवानों को
रक्षा करते देश की कुर्बान करके जीवन
ऐसे शूरवीरों से ही अखण्ड मेरा देश है
डटे रहते सीमा पर करते खुद को अर्पण
देते हैं शिकस्त धूल चटा देते रिपु को
बन महाकाली करते उनका मुण्ड मर्दन
देश के हैं वीर ये ही फौजी सच्चे नायक
देश के इन रक्षक को मेरा तन मन अर्पण।

दुश्मन की हर इच्छा का सेना करती पल में खण्डन
हो जाय अडिग तो अडिग गिरि का पल में करती हैं भंजन
मातृभूमि की रक्षा खातिर कर देते वो खुद को अर्पण
इसीलिए हर शूरवीर का मैं करता हूँ नित नित वन्दन।।

पाल्यों की रक्षा में भारती , रक्तरंजित भी हो जाती है
शहीदों की शहादत पर गर्दन गर्वित भी झुक जाती है
पाद-शब्द पर सात जन्म का वचन लिया था जिससे उसने
रख वज्र हृदय पर कर सैल्यूट,वो शौर्यान्गिनी बन जाती है।।

जब पिता खुद पुत्र की अर्थी को,कंधे पर अपने रखे हुए हो
लगता कि धरा को शेषनाग खुद सिर पर धारण किये हुए हों
अब जागो दिल्ली के सत्ताधारी किस सुप्ति में तुम सोये हो
अग्नि ब्रह्मोस रखी क्यों है,क्यों खामोशी की चादर में ढके हुए हो।।

आतंक खत्म हो जाएगा कुछ नियम बदल लो तुम अपने
सरपंचों से मत पूछो बस स्वयं फैसले लो तुम अपने
एक बार इजरायल को ही नज़र उठाकर देखो तो
नया आयाम,नया अंजाम दो, देखो देशहित खुद तुम अपने।।

प्राण गँवाते फौजी सीमा पर कुछ तो जरा विचार करो
आतंक खात्मे खातिर सीधे,आकाओं पर तुम वार करो
उठा लो घर में घुसकर उनके,ले जा फेंको सात समन्दर में
सेना को दे छूट ये कह दो, बजरंग बली सा संहार करो ।।