प्रतिभा नागेश – प्यार और नफरत – साप्ताहिक प्रतियोगिता

प्यार वालो ने खत्म कर दी रिवायत प्यार की ,
नफरतों के ये बाज़ार यूं ही आबाद नहीं है। ……..
लोगों ने तोड़ दी भरम – ए – इज्ज़त यार की,
मुहब्बत में यूं ही कई लोग बरबाद नहीं है।……..
वक़्त दरिया बन गुज़र गया किनारों को तोड़ के ,
किनारों के सीने में यूं ही ये निशान नहीं है।……
हथेलियां थाम कर छोड़ दी किसी ने किसी की,
कभी आबाद थे जो मंज़र यूं ही वीरान नहीं है।……
कभी चांद ने ख्वाहिश की होगी तारों के टूटने की,
तभी तारों से भरे आसमान में ये चांद नहीं है।….
कई दर्द गम को अपने अंदर समेट रक्खा है,
यूं ही समन्दर की लहरों में उफान नहीं है।……
यादों के बहाने तेरे प्यार को जी लेती हूं,
यूं ही उस लम्हें में यादों का तूफान नहीं है।…….
यूं तेरी उंगलियां मेरी उंगलियों से नहीं उलझी ,
जब तेरे हाथों की लकीरों में मेरा नाम नहीं है।……..
प्यार वालों ने खत्म कर दी रिवायत प्यार की,
नफरतों के ये बाज़ार यूं ही आबाद नहीं है।……