
देश मेरा तुम्हारा सभी का सुनो है,लगे तोड़ने पर क्यों इसको हो तुम
मजहबी चादरों का जो ताना बुना है,लगे बांटने पर क्यों इसको हो तुम
ये कैसी विषमता जो फैला रहे हो,देश को ना बनाओ कोई बाग तुम
आज मेरा तुम्हारा सभी का प्रहर है,सत्यता को ना छोड़ो ना झूठे बनो तुम
वो जो संस्कृति हमारी रही है सदा,क्यों मिटाते उसे एक हो जाओ तुम
देश आगे बढ़े ऐसे कर्म करो,क्यों मिट्टी में इसको मिलाते हो तुम
ये कैसे हैं नारे ये दंगा लड़ाई,क्यों इसमें फंसे बंद कर दो ये तुम
नागरिक सब बनें देशवासी मेरे
आओ मिलकर चलें और आगे चलो तुम