भानु श्री सोनी – जन्म मृत्यु – साप्ताहिक प्रतियोगिता

सम्पूर्ण ब्रह्मांड का अलिखित क्रम,
जगत् जीवन का आधार,
नव- सृजन समाया है,
गर्भ में इसके,
रचा गया है, जिसके बल पर,
सम्पूर्ण संसार।
युगों -युगों से चला आ रहा,
आत्मा का क्रम,जन्म और मृत्यु।
सृष्टि विकास का साधक है,
सृजन -अवसान का यह क्रम हैं।
जो आया है, वह जायेगा,
यह सत्य भी चिर-निरन्तर हैं।
मनुष्य जीवन के कर्मो की सौगात है, जीवन और मृत्यु।

है ये एक सिक्के के दो पहलू,
जिसमें,
जीवन -मरण की सम्पूर्ण कहानी है।
यह संसार है मात्र आश्रय स्थल,
मिटा वो भी हैं, जो अभिमानी है।
जीवन की नश्वरता का ज्ञान हैं,
जन्म और मृत्यु।
पुनर्जन्म का अग्रगामी है,
शाश्वत सत्य है ये,
जानते हैं वो, जो ज्ञानी है।
जन्म रुप है, नव -आशाओं का,
मृत्यु समग्र जीवन की अकथ कहानी है,
नियति के विधान की परिणति है, जन्म और मृत्यु।