
भारत माँ के वीर सपूतों को जो आग लगाने को फिरते हैं
कश्मीर की घाटी में भी आतंक फ़ैलाने को फिरते हैं
जिनके कारण है ये पवित्र धरती शर्मसार हुई
मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे में भी खून की हैं नदियाँ बही
लाखों माँओं की गोद जिन्होंने आज सूनी कर डाली है
घर भरे पड़े विधवाओं से बच्चों के मुंह सवाली हैं
उस शहीद बेटे के लहू का अभी ऋण चुकाना रहता है
जेहादी बंदूकों को जहन्नुम दिखाना रहता है
उस टूटी की खनक जो सरहद पर पहुंचानी होगी
भड़क रही चिंगारी से कोई ज्वाला बनानी होगी
बंद करो अब पक्षपात राजनीति ये विश्वासघात
बंद करो अब खूनी खेल ये छुपे हुए मैदानों का
अब इंतज़ाम हो देशद्रोह की हर किताब जलाने का
साज़िश की हर बू को तुम शमशान दिखा डालो
जो मानता ना हो कर्ज़ देश का कब्रिस्तान में दबा डालो
महाराणा और शिवाजी, गुरुगोबिंद और पृथ्वीराज ये धरती शर्मसार नहीं होगी
आतंकवाद और नक्सलवाद से शान हमारी कभी कम नहीं होगी
जो लूट गया वो लूट गया अब कोई लूट नहीं होगी
एक भी जवान ना होगा ऐसा जिसकी छाती बुलेटप्रूफ नहीं होगी
सरकारें गिरती हैं तो गिर जाने दो इसपर राजनीति नहीं होगी
गिद्धों की सेंध से बाघ की धरती कम नहीं होगी
स्कूल कॉलेज और नौकरी में ऐसा कुछ पढ़ा डालो
पैदा हों घर-घर भगत सिंह ऐसा राग सुना डालो
स्वाभिमान से उस दिन भारत माता पूजी जाएगी
जब हिन्दू-मुसलमान ना होगा ये धरती विश्व गुरु कहलाएगी