मेरा विशवास ..लाडली गीतू
मैं (गीता गाबा) जो बताने जा रही हू यह एक कहानी
नहीं बल्कि एक सच्ची घटना है | मेरी उम्र २० वर्ष है
मेरा छोटा सा परिवार है जिसमे मेरी माँ ,पिताजी ,
बड़ा भाई और भाभी रहती है |मेरे माँ एक हार्ट(Heart)
पेशंट है |सन् २००९,२२ नवम्बर को भाई के विवाह
एक सप्ताह बाद माँ की तबीयत बिगड गयी|सांस
लेने में दिक्कत हो रही थी|हमने माँ को एक
प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया|मैं तब १२ वी कक्षा
में थी|मेरी जिंदगी में यह एक ऐसा मोड था जहां मेरा
आत्मविश्वास कम हो रहा था |इस मोड पर परिवार
के हर सदस्य ने मुझसे मुह मोड लिया था|सिर्फ ,
दो लोग मेरे साथ थे -मेरे पापा और मेरी दोस्त
कोमल|अस्पताल में डाक्टर्स ने जवाब दे दिया था
हम आपकी माँ को नहीं बचा सकते|मैं टूट चुकी
थी ,बिखर चुकी थी |माँ को सांस न आने पर माँ को
वेंटिलेटर मशीन पर रखा गया|इधर,मेरे भाभी बहुत
तेज निकली|भाई भी भाभी की तरफ हो गया वो
लोग खाते पीते घूमते थे उन्हें मेरे पापा और मुझसे
कोई मतलब नहीं था|डॉक्टर के उस जवाब के बाद
मैंने खाना बंद कर दिया|कुछ खाया नहीं जा रहा था|
मैंने दो दिन तक खाना नहीं खाया और दो रात सोयी
नहीं सिर्फ रोती रही थी| पापा, माँ के पास अस्पताल
में होते थे और मैं नीचे(Ground floor)पर अकेली
होती थी|रात को नींद नहीं आती थी ,पहली रात रोते
रोते कट गई |दूसरी रात ,माता "वैष्णो"को अपने सामने
पाया| अब मुझे सिर्फ अपने वैष्णो माता और अपने पर
विश्वास था किमेरे माँ जरुर बच जायेगी| दो दिन बाद मेरे
घर मेरे दोस्त कोमल आई उसको सब बताया उसने मेरा
ध्यान रखना शुरू किया मेरा हौसला बढाया|अगले दिन
अस्पताल गयी पर माँ कि हालत में कोई सुधार नहीं था|
मैंने,डॉक्टर से बात करी उन्होंने मुझसे कहा-"बेटा,होठो
पर मुस्कान हर मुश्किल कार्य को आसान कर देती है"|
मेरा आत्मविश्वास बढ़ गया|मेरे अंदर से एक आवाज आई
कि कुछ चमत्कार जरुर होगा|मुझे विश्वास है विश्वास|
उधर,मेरे पापा ने भी तीन-दिन से कुछ ठीक से खा-पी
नहीं रहे थे |सातवे दिन पापा ने अस्पताल से मुझे फोन आया
-बेटा,जल्दी अस्पताल पहुच|बस,फोन कट गया |घबरा गई मैं
कि ऐसा क्या हो गया ,मैं जैसे कड़ी थी वैसे ही नंगे पैर
अस्पताल भागी|बात यह थी कि माँ को होश आ गया था|
बस, देखते ही माँ को १५-२० मिनट के करीब गले लगाया
रखा|मेरी माँ को दिन बाद घर लाया गया|
बस दोस्तों ,यही कहना चाहूंगी कि ,माँ जैसा दुनिया में कोई
नहीं है|माँ है तो सब कुछ है अपने माँ-बाप कि जितनी हो उतनी
सेवा करो |उनका ध्यान रखो|हमेशा सकरात्मक सोच रखकर ,अपने
और अपने ईश्वर पर विश्वास रखो|और उनका धन्यबाद करो |आज
मेरी माँ और माँ कि लाडली गीतू दोनों बहुत खुश है |मैं आप सब दोस्तों ,
परिजनों का धन्यवाद करना चाहती हू|जिन्होंने "मेरा विश्वास" को पढ़ने के
लिए समय दिया |
"आत्मविश्वास हमारें उत्साह को जगाकर हमें जीवन
में महान उपलब्धियों के मार्ग पर ले जाता है"
नाम :गीता गाबा
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Writer: SaraSach
Web: http://www.sarasach.com
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