हरियाणा कांग्रेस में आपसी घमासान किसी से छिपा नहीं है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर की आपसी तनातनी अक्सर खुलकर सामने आती रही है. राहुल के कार्यक्रमों में भी दोनों का झगड़ा खुलकर सामने आता रहा है. फिर चाहे वो भूमि अधिग्रहण के मुद्दे पर रामलीला मैदान में हुई रैली हो या फिर राहुल की देवरिया से दिल्ली की किसान यात्रा का समापन. यात्रा के समापन पर तो अशोक तंवर और हुड्डा समर्थकों के बीच हाथापाई तक हो गई थी.
इस बार 29 अप्रैल को होने वाली रामलीला मैदान की रैली में ऐसा कोई तमाशा ना हो. इसलिए कांग्रेस आलाकमान ने हरियाणा कांग्रेस के सभी नेताओं को निर्देश दिया है कि, कोई भी अलग से ताकत दिखाने की कोशिश ना करे. गौरतलब है कि हुड्डा समर्थक पिछली रैलियों में गुलाबी रंग की पगड़ी बांधकर आते रहे हैं और कई मौकों पर अशोक तंवर की हूटिंग करते रहे हैं. ये नज़ारा राहुल के सामने भी हो चुका है. इसलिए आलाकमान ने इस बार पहले से ही गुलाबी पगड़ी पर रोक लगा दी है.
लेकिन अहम बात ये है कि, रैली में भीड़ जुटाने के लिए दिल्ली से सटे राजस्थान और हरियाणा की अहम भूमिका रहती है. खासकर हुड्डा की भूमिका भीड़ जुटाने में खासी अहम मानी जाती रही है. लेकिन सीएम पद से हटने के बाद हुड्डा गुलाबी पगड़ी के सहारे अपना शक्ति प्रदर्शन करते रहे हैं. इसमें कई बार समर्थक हंगामा करके माहौल खराब करते रहे हैं. इसलिए इस बार खुद हुड्डा ने भी अपने समर्थकों से गुलाबी पगड़ी नहीं पहन कर आने को कह दिया है. इस बावत सांसद दीपेंदर हुड्डा ने कहा कि इस बार हमारे समर्थक गुलाबी पगड़ी में नहीं आएंगे. लेकिन इतने आएंगे कि मोदी सरकार का सिंहासन हिल जाएगा.
कांग्रेस ने गुलाबी पगड़ी के जरिए ताकत दिखाने से तो परहेज़ करने को कह दिया है. लेकिन भीड़ कम ना हो इसलिए हुड्डा को ज़िम्मेदारी भी दी गई है. हुड्डा ने भी अपने दिल्ली स्थित आवास में रैली में भीड़ जुटाने के लिए अपने समर्थकों की बैठक बुलाई है. बैठक में 14 विधायक, 100 पूर्व विधायक और तमाम नेता शामिल हुए.