श्रद्धान्जलि शुक्ला – जन्म मृत्यु – साप्ताहिक प्रतियोगिता

मैं सोचती हूँ हर बार
वो कितनी सुन्दर होगी
न दिन रात का कोई पहरा
न डर जिम्मेदारियों का गहरा
शांत शीतल हवा सी अदा होगी।
मैं सोचती हूँ हर बार
वो कितनी सुन्दर होगी
न सुन्दरता का मद कोई
न दिखावे की जद्दो-जहद कोई
वो आप ही परी सी मासूम अदा होगी।
मैं सोचती हूँ हर बार
वो कितनी सुन्दर होगी
न वफाओं का छलावा
न अपनेपन का दिखावा
वो अपने आप ही संपूर्ण अदा होगी।
मैं सोचती हूँ हर बार
वो कितनी सुन्दर होगी
न जीने का खौफ होगा
न मरने का शौक होगा
वो मृत्यु की जीवन सी अदा होगी।
मैं सोचती हूँ हर बार
वो कितनी सुन्दर होगी
शांत उपवन सी मोहक
चांदनी सी नूर-ए-रौनक
हाँ बेशक मृत्यु बेहद खूबसूरत होगी।