संजय कुमार मिश्र अणु – आदमी/पुरुष – साप्ताहिक प्रतियोगिता

आदमी का हाथ सना है आदमी के खुन से। आदमी पर अब भरोसा आदमी करता नहीं।। भाई जब होता नहीं तो भाईचारा फिर कहाँ? आदमी का कुछ भला अब आदमी करता नहीं।। आदमी के शक्ल में शैतान दिखता है मुझे- आदमी की बात तो अब आदमी सुनता नहीं।। बात बुरी गर लगी तो बात को विचार लो-आदमी हो साथ में कोई आदमी चुनता नहीं।। आदमी की बात सुनकर “मिश्रअणु” हैरान है-आदमी का सर भी अब आदमी चुमता नहीं।।          –:भारतका एक ब्राह्मण.