युवा तुर्क के नाम से मशहूर रहे दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की आज पुण्यतिथि है. उनके 80वें जन्मदिन के एक हफ्ते बाद ही 8 जुलाई 2007 को दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उनका देहांत हो गया था. चंद्रशेखर से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जिन्हें आज भी सुनाया जाता है. कहा जाता है कि वो पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने राज्य मंत्री या केंद्र में मंत्री बने बिना ही सीधे प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी.
तीखे तेवर वाले नेता थे चंद्रशेखर
चंद्रशेखर सिंह एक प्रखर वक्ता, लोकप्रिय राजनेता, विद्वान लेखक और बेबाक समीक्षक थे. वे अपने तीखे तेवरों और खुलकर बात करने के लिए जाने जाते थे. इस वजह से ज्यादातर लोगों की उनसे पटती नहीं थी. कॉलेज समय से ही वे सामाजिक आंदोलन में शामिल होते थे और बाद में 1951 में सोशलिस्ट पार्टी के फुल टाइम वर्कर बन गए. सोशलिस्ट पार्टी में टूट पड़ी तो चंद्रशेखर कांग्रेस में चले गए.
मंत्री बनने से किया इंकार
सात महीनों तक बने प्रधानमंत्री
साल 1990 में उन्हें प्रधानमंत्री बनने का मौका मिला. जब उनकी ही पार्टी के विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार बीजेपी के सपोर्ट वापस लेने के चलते अल्पमत में आ गई. चंद्रशेखर के नेतृत्व में जनता दल में टूट हुई. एक 64 सांसदों का धड़ा अलग हुआ और उसने सरकार बनाने का दावा ठोंक दिया. उस वक्त राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने उन्हें समर्थन दिया.
हालांकि पीएम बनने के बाद चंद्रशेखर ने कांग्रेस के हिसाब से चलने से इंकार कर दिया. सात महीने में ही राजीव गांधी ने सपोर्ट वापस ले लिया. चंद्र शेखर सात महीनों तक प्रधानमंत्री बने. अपने कार्यकाल में उन्होंने डिफेन्स और होम अफेयर्स की जिम्मेदारियों को भी संभाला था.