
जब भी कलम पकड़ लिखने चला मै तब ।
तब मुझे याद आने लगा भगत सिंह के फासी है।
चोली और बिन्दी वाली गीत नहीं गा पाता हूँ।
जलियांवाला बाग और घाटी की कहानी है।
घाटी मे शहीद हुऐ वतन पर जो मिट गये।
उन विधवा और गोद सुनी माँ कि ये कहानी है।
राम कि कसम जो अब आतंकी सीमा पार करे।
शेर कि दहार जैसी ये हिन्दुस्तान की सैनानी है।।
गाँघी तेरा सपनो का भारत, कमजोर दिखाई देता है।
खादी वाली वस्तु भी ,लाचार दिखाई देता है।
जो विश्व गुरु था दुनिया का,वही दुनिया में भटक रहा।
केशर वाली स्वर्ग-सी घाटी,मे बम बारिश हो रहा।
राजनीति ने बाटी है ,भारत को हिन्दू मुस्लिम मे।
रघुपति राघव राजाराम ,धुमिल हो गया है मिट्टी मे।।
नही करती है कोई अंतर गंगा- युमना पानी मे
सुरज रैशनी देता हैं चांद शीतलता बरसाने मे
कोई हिंदी बोले तो कोई उर्दू बोले पर
राजनीति का झंझट हमसब जनता झेले
अब तो बंद करो आपस का वैर
हम यही सीख सिखलाते है
देख हालात सपुतो का भारत माँ पानी पानी होते हैं
नहीं बचेगा कोई भी इस भीषण रण के लपटो से
होगी त्राहि फटेगा बादल आग निकलेगा धरती से
हे कृषण ले लो अवतार अब फिर से इस धरती पर
बहुत हो गया है अत्याचार कामुकता इस धरती पर
चलाओ सुदर्शनचक्र या खोलो त्रिनेत्र हे त्रिनेत्रधारी
कर दो विनाश सम्पूर्ण जगत का महाप्रलय हे प्रलयकारी
अगर नही कर सकते ऐसा तुम तो कुछ चमत्कार दिखलाओ तो
धरती पर फिर से राम राज्य बनाओ तो क्योंकि
हमको सुध्द बुद्ध वाला फिर से पुरा हिन्दुस्तान चाहिए
आज कलयुग मे राम भक्तों को अपना राम चाहिए