6 प्वाइंट्स में समझें, CBI के चीफ और उनके डिप्टी के बीच क्या है विवाद?

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में ‘रिश्वतखोरी कांड’ चर्चा का विषय बना हुआ है. जांच एजेंसी ने अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है. मामला 3 करोड़ रुपये की घूसखोरी का है. इधर, अस्थाना पर 3 करोड़ रुपयेरिश्वत लेने का आरोप लगा है, तो उधर अस्थाना ने एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा पर ही कथित रूप से 2 करोड़ रुपये की घूस लेने की शिकायत केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) से की है. दोनों पक्ष की ओर से लगातार एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं.

आखिर क्या है पूरा मामला? आइए, इन 10 प्वाइंट्स से समझें

1- अस्थाना के खिलाफ केस सतीश साना से जुड़े एक मामले में दर्ज किया गया है. साना से रिश्वत की मांग की गई थी. एफआईआर में जिन अन्य लोगों के नाम हैं, वे हैं-डीएसपी रैंक के सीबीआई अधिकारी देवेंद्र कुमार, बिचौलिया मनोज प्रसाद, उसका भाई सोमेश प्रसाद और अन्य सरकारी कर्मचारी.

2- एफआईआर के मुताबिक, मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद सतीश साना से दुबई में मिले और उसका मामला रफा-दफा कराने का आश्वासन दिलाया. साना दुबई का कारोबारी है. सीबीआई उसके खिलाफ मीट कारोबारी से संबंध को लेकर जांच कर रही है. कुरैशी साल 2014 के बाद से भ्रष्टाचार के केस में कई एजेंसियों के निशाने पर है.

3- सतीश ने आरोप में कहा है कि सोमेश ने एक अधिकारी को फोन किया, जिसने 5 करोड़ रुपए लेकर मामला निपटाने की बात हुई. 3 करोड़ रुपए एडवांस और 2 करोड़ रुपए काम होने के बाद देने की डील पक्की हुई. सोमेश ने सतीश से कहा कि जिस अधिकारी से बात हुई वह राकेश अस्थाना है. सोमेश ने अपनी बात पुष्ट करने के लिए अस्थाना के व्हाट्सअप की डिसप्ले पिक्चर (डीपी) भी दिखलाई.

4-सीबीआई का कहना है कि 2 करोड़ रुपये की ताजा घूस सतीश ने खुद को 25 अक्टूबर तक बचाए रखने के लिए दिए. 10 अक्टूबर को 25 लाख रुपये चुकाए गए और बाकी के पैसे 16 अक्टूबर तक चुकाने की बात हुई. सीबीआई ने 16 अक्टूबर को बिचौलिए मनोज प्रसाद को गिरफ्तार किया, जब वह बाकी के पौने दो करोड़ रुपए लेने भारत आया.

5-इन आरोपों के आधार पर राकेश अस्थाना के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई. जिसके खिलाफ अस्थाना ने भी सीवीसी में शिकायत दर्ज कराई है और एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा पर भ्रष्टाचार के 10 मामले गिनाए हैं.

6-इनमें एक केस सतीश साना से जुड़ा है. अस्थाना ने अपनी शिकायत में कहा है कि सतीश साना ने 24 अगस्त को आलोक वर्मा को 2 करोड़ रुपये घूस दी. हालांकि सीबीआई ने वर्मा पर लगे आरोपों को ‘गलत और बेबुनियाद’ बताया है.