शीर्षक
भूकंप….
प्रकृति के साथ छेड़छाड़,
प्रकृति का विनाश
मानव अपने स्वार्थ के लिए करता जाएगा l
पर्यावरण संतुलन बिगड़ कर धरती पर भूकंप आएगा l
अंधाधुंध वनों की कटाई,
नदियों पर बड़े-बड़े बांध
बनाकर नदियों को रोकना l
नदियों का मार्ग बदलना
जब मानव प्रकृति के साथ,
छेड़खानी करता जाएगा l
पर्यावरण संतुलन बिगड़ेगा,
और धरती पर भूकंप आएगा।
जल जमीन जंगल बचाएं ,
पर्यावरण का संतुलन बनाएं ।
प्राकृतिक आपदा को रोक पाए,
भूकंप से मानवता को बचाएं।
जब धरती पर आता भूकंप है
लाखों जाने जाती है।
हजारों किलोमीटर तक
धरती थर्रा ती जाती है ।
जनधन की हानि होती है,
कभी-कभी तू भूकंप आता,
जब दुनिया रात को सोती है l
दिलीप कुमार शर्मा “दीप”
MP