बाबासाहब अंबेडकर – प्रा.गायकवाड विलास

*सारा सच प्रतियोगिता के लिए रचना*
*विषय:बाबासाहब अंबेडकर*
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*इस देश का उज्जवल भविष्य*
    (छंदमुक्त काव्य रचना)
खत्म हुई गुलामी आजाद हुआ वतन,
निकला आजादी का सूरज सारा देश हुआ रोशन।
तुकडों तुकडो में बंटा जब एक हुआ सारा हिंदुस्तान,
तभी गुंज उठी शहनाई और खिल उठा इन्सानों का चमन।
आजादी तो मिली मगर देश को चलायेंगे कैसे?
यही चिंताएं सभी नेताओं को पड़ी थी यहां पर।
एकता में बांधकर देश को चलाना नहीं था आसान,
उसी हालातों में सबके सामने आएं बाबासाहब सूरज बनकर।
दो साल ग्यारह महीने अठरा दिनों तक दिन रात एक करके,
बाबासाहब अंबेडकर जी ने संविधान का निर्माण किया।
समता,स्वातंत्र्य,बंधुता,एकता और आचार-विचारों से,
सभी इन्सानों को यहां सम्मान से जीने का अधिकार दिया।
सभी बुरी रुढी परंपराएं मिटाकर पर में,
पिछड़े जाति धर्मों के लोगों को भी इन्सान बना दिया।
पाठशाला में जिन्हें बिठा दिया था कक्षा से बाहर,
वही बाबा साहब बन गए इस देश के लिए अनमोल कोहिनूर।
विश्व में सबसे बड़ी राज्यघटना का निर्माण करके,
डॉ.बाबासाहब अंबेडकर ही बने उसी राज्यघटना के शिल्पकार।
ऊंच-नीच और जाति-धर्मों का भेदभाव मिटाकर अपने ज्ञान से,
जला दिया सारे जहां में फैला हुआ विषमता का अंधकार।
शिक्षा से ही होती है प्रगति और उन्नति समाज और देश की,
इसीलिए सभी को दिया घटना में शिक्षा का अधिकार।
सभी नारीयों को भी संविधान ने खुला किया वो सारा आसमां,
जहां जलती थी नारी मनुस्मृति में यहां बार-बार।
सूरज की रोशनी से जगमगा उठता है सारा आसमान,
वैसे ही इस देश का उज्जवल भविष्य है बाबासाहब का संविधान।
विचार स्वातंत्र्य,समता,बंधुता और मानवता इन्हीं तत्वों के साथ,
बाबासाहब ने ही बना दिया इस राष्ट्र को विश्व में महान।
खत्म हुई गुलामी आजाद हुआ वतन,
निकला आजादी का सूरज सारा देश हुआ रोशन।
तुकडो तुकडों में बंटा जब एक हुआ सारा हिंदुस्तान,
तभी गुंज उठी शहनाई और खिल उठा इन्सानों का चमन।
प्रा.गायकवाड विलास.
मिलिंद महाविद्यालय लातूर.
      महाराष्ट्र
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