तुम क्या जानो हम ने क्या पाया है
जब माँ ने हमे आँचल तले छुपाया है
राहे थी जब मुस्किल और कदम लड़खाडाते थे
मेरी उगलिया पकड़ कर उसने चलना सिखाया है
खुदा की रहमत देखी खुदा को नही देखा
माँ की सूरत मुझको खुदा नज़र आया है
उसकी दुवाओ का सदका है
मेरे आख़िरत के लिया की खुदा ने उसके कदमो तले जन्नत बनाया है
कुछ भी नही मेरे पास तो क्या गम “आलम“ खुदा का
शुक्र है मेरे सर पर माँ का साया है