(कामदेव)
अरे बेटा मैंने तेरा क्या बिगाड़ा,
क्यों मेरे सीने को चीर डाला।।
मैं तो हूँ ममता का एक नमूना,
फिर भी तूने मुझे छ्ल डाला।।
मुश्किलों में मैंने तुझको दिया सहारा,
आज खुद ही हो गई मैं बे-सहारा।।
रात-रात जगकर मैंने तुझको दूध पिलाया,
फिर भी दूध का कर्ज मेरे काम ना आया।।
खुद सोती थी गीले में तुझको सुखे में सुलाया,
आज गीला बिछौना बना मेरा आशियाना।।
बारिश की बूदों से मैंने तुझको है बचाया,
आज वही बारिश में तूने मुझे मार डाला।।
मैंने इन्हीं हाथों से तुझको चलना सिखाया,
आज इन्हीं हाथों पे तूने बेढ़ी बधवाया।।
मैंने सारी दुआओं को तुझपे वार डाला
तू सदा रहे अमर यहाँ हमेशा- हमेशा।।