विषय लालच
सारा सच प्रतियोगिता हेतु
लालच शब्द से सब परिचित हैं। किसी को धन का लालच ,किसी को मकान का लालच ,किसी को कुर्सी का लालच, किसी को नौकरी का लालच ,इस प्रकार अनेकों प्रकार के लालच इंसानों में मौजूद रहते हैं ।समय पाकर या अनुकूल परिस्थितियों में बाहर आ जाते है। हम अक्सर अखबार में पढ़ते रहते हैं कि अमुक व्यक्ति ने नौकरी की लालच में₹पांच लाख ले लिए। वह व्यक्ति अनेक लोगों को नौकरी लगवाने का लालच देकर उन्हें ठग चुका था।
इसी तरह ठग धन दुगना करने का लालच देकर महिलाओं से उनके जेवर लेकर रफूचक्कर हो जाते हैं।
कबीर दास जी ने कहा है-
माखी गुड़ में गड़ी रहे,पंख रहे लिपटाय।
हाथ मले और सिर धुने , लालच बुरी बलाय।।
एक सज्जन बेटी की शादी के लिए दस लाख रुपए निकाल ने बैंक गए।
बैंक से रुपए निकाल कर थैले में रख लिए और थैला बाहर आकर
कार की पिछली सीट पर रख दिया। बैंक में बदमाशों ने रूपया रखते देख लिया। सारा सच यह कि बदमाशों में से एक उन्हें पहचानता था। उनका घर उसे मालूम था। वो बैंक से उनके पीछे लग गए। उन्होंने अपने साथी को खबर दे दी वह भी तैयार हो गया। बैंकऔर उनके घर के रास्ते में कुछ जगह सुनसान पड़ती थी। उन्होंने रास्ते पर आते ही देखा सड़क पर पांच पांच सौ के नोट पड़े हैं। आस पास कोई नहीं दिखा उन्होंने कार खड़ी कर ली और नीचे उतरकर पांच पांच सौ के
नोट उठाने लगे। वह मन ही मन खुश हो कर कार के पास आए वहां उन्होंने देखा गाड़ी की पिछली सीट से थैला गायब था। उनके होश उड़ गए और वह सोचने लगे अब बेटी का विवाह कैसे होगा सिर पकड़कर बैठ गए। इसी तरह मनुष्य लालच के चक्कर में फसता रहता है। सारा सच यह कि शब्द ही खतरनाक है।
ओजेंद्र तिवारी दमोह मध्य प्रदेश।