लेन देन की रिवाज …
पहले तो
बेटी बचाओ
बेटी पढ़ाओ
फिर
उच्च तालिम के बाद
दहेज़ तो जरूर दो, लो
और ब्याह करवाओ
उम्र की गाढ़ी कमाई से
इसके बाद भी
इसकी कोई गारंटी नहीं
बेटी सुखी रहेगी या नहीं
कहाँ है हम ?
इसी सड़े गले रिवाज में
एक सभ्य समाज में
आज के शिक्षित प्रगत दुनिया में
‘हम ‘ जुटे हैं बेटी अभियान में
” पुष्पा त्रिपाठी ‘पुष्प ”
( बैंगलोर )