भारत-रूस मित्रता को जीवंतता देने का सार्थक प्रयास
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस रूस यात्रा को लेकर पश्चिमी देशों ने विरोध जताया है। लेकिन प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि भारत के लिए रूस की मैत्री बहुत महत्वपूर्ण है। भारत अपने मैत्री-मूल्यों को किसी भी दबाव में कमतर नहीं होने देगा।
भारत-रूस की मैत्री को नये आयाम देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं राष्ट्रपति पुतिन ने न केवल मैत्री के धागों एवं द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूती दी है, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को नये शिखर देने का प्रयास किया है। उनकी यह यात्रा दोनों देशों के लिये एक नए सोच के साथ नये सफर का आगाज है। एक ऐसे समय में, जबकि यूक्रेन-रूस युद्ध को पश्चिमी देशों के विरोध के कारण रूस दुनिया में अलग-थलग है, प्रधानमंत्री मोदी ने अपने तीसरे कार्यकाल की शुरुआत में पहले विदेश यात्रा के लिये रूस का चयन करके जता दिया है कि भारत-रूस की मैत्री अक्षुण्ण है और किसी भी तरह के दुनिया के दबाव में यह दोस्ती कमजोर नहीं पड़ने वाली है। भारत ने जहां मैत्री को प्रगाढ़ बनाने की दिशा में उल्लेखनीय उपक्रम किये हैं, वहीं अपने मित्र देश को युद्ध के खिलाफ और शांति के पक्ष में अपना स्पष्ट रुख भी जताया है। मोदी की इस यात्रा की एक बड़ी निष्पत्ति यह है कि रूस में अब दो नये वाणिज्यिक दूतावास खुलने जा रहे हैं, जिससे हमारी आर्थिक गतिविधियां तेजी से एवं ज्यादा बढ़ेगी।